क्या आप गोवा के शिग्मो महोत्सव के बारे में जानते हैं? गोवा का रंगों भरा उत्सव, जो हर साल मार्च में आयोजित होता है!

Shigmo Festival Goa

गोवा अपने वार्षिक कार्निवल के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन क्या आपने शिग्मो महोत्सव (Shigmo Festival Goa) के बारे में सुना है? यह रंगों का त्योहार 21 मार्च से 29 मार्च तक मनाया जाता है।

शिग्मो महोत्सव क्या है?

शिग्मो महोत्सव गोवा के कोंकणी क्षेत्र में वसंत ऋतु के आगमन के साथ मनाया जाता है। होली के साथ शुरू होने वाला यह उत्सव हिंदू परंपराओं को दर्शाने वाले भित्ति चित्र और मूर्तियों की सुंदर कारीगरी का प्रदर्शन करता है।

‘शिग्मो’ शब्द प्राकृत शब्द ‘सुग्गिमहो’ और संस्कृत शब्द ‘सुग्रीष्मक’ से लिया गया है। यह देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे उत्तर भारत में होली, दक्षिण भारत में कामदहन, असम और बंगाल में डोलयात्रा और महाराष्ट्र में शिमगा।

यह त्योहार भारतीय चंद्र कैलेंडर के फाल्गुन मास की पूर्णिमा से कुछ दिन पहले मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च में पड़ता है। इस उत्सव के दो प्रकार हैं – धक्तो शिग्मो और वढलो शिग्मो, और यह गोवा में रंगों और वसंत का त्योहार माना जाता है, जो पखवाड़े तक चलता है।



शिग्मो महोत्सव कैसे मनाया जाता है?

शिग्मो महोत्सव रंगों का एक भव्य उत्सव है। लोग एक-दूसरे पर गुलाल फेंकते हैं, पारंपरिक रंग-बिरंगे परिधानों में सजते हैं और देवताओं की छतरियों के साथ नृत्य करते हैं। इसमें लोक नृत्य, झांकियां और मंदिर यात्राएं शामिल होती हैं। घरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है ताकि त्योहार की खुशी का स्वागत किया जा सके।

लोक नृत्यों में ‘घोड़े-मोरनी’ (घोड़ा नृत्य), ‘रोम्मतमेल’, और ‘फुगड़ी’ नृत्य प्रमुख हैं।
त्योहार के दौरान निकाली जाने वाली परेड में पौराणिक कहानियों और हिंदू ग्रंथों से प्रेरित झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। झांकियों और कलाकारों को उनके प्रदर्शन के आधार पर सम्मानित किया जाता है।

ग्रामीण गोवा में विशेष आयोजन

शिग्मो उत्सव का धक्तो संस्करण ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है, जहां किसान और ग्रामीण वर्ग रात में नृत्य और उत्सव मनाते हैं। इस उत्सव को गोवा सरकार का भी समर्थन प्राप्त है।



शिग्मो महोत्सव का इतिहास

इस त्योहार की शुरुआत से जुड़ी कई कथाएं हैं।

  1. पहली कथा के अनुसार, यह उत्सव दुष्ट होलिका के जलने और भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  2. कुछ लोग इसे भगवान कृष्ण द्वारा पुतना राक्षसी के वध से जोड़ते हैं।
  3. यह कामदेव (प्रेम के देवता) को समर्पित एक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
  4. त्योहार को उन योद्धाओं की वापसी का जश्न भी माना जाता है, जो दशहरा के बाद लड़ाई के लिए गए थे।
  5. साथ ही, यह शीतकालीन फसल के पकने का जश्न है, जिसे ग्रामीण “फसल उत्सव” भी कहते हैं।

गडोत्सव और ग्रामीण परंपराएं

शिग्मो के दौरान गडोत्सव भी मनाया जाता है, जिसमें गांव के लोग सफेद धोती पहनकर मध्यरात्रि में श्मशान की ओर दौड़ते हैं। यह परंपरा पवित्र आत्माओं को प्रसन्न करने और प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए मानी जाती है। इसे देखने के लिए आप बिचोलिम जिले के साल, कुडने और पिलगांव जा सकते हैं।


यात्रा का अद्भुत अनुभव

अगर आप इतिहास और संस्कृति का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो शिग्मो महोत्सव आपकी सूची में जरूर होना चाहिए। यह उत्सव स्थानीय लोगों और पर्यटकों को एक साथ लाता है और हर किसी को उत्सव के रंग में डूबा देता है।

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शिग्मो महोत्सव कब और कहां मनाया जाता है?

शिग्मो महोत्सव (Shigmo Festival Goa) गोवा के कोंकणी क्षेत्र में हर साल मार्च में मनाया जाता है। 2025 में यह 21 मार्च से 29 मार्च तक आयोजित होगा।

शिग्मो महोत्सव के प्रमुख आकर्षण क्या हैं?

इस महोत्सव के मुख्य आकर्षण हैं रंगों की होली, पारंपरिक लोक नृत्य जैसे ‘घोड़े-मोरनी’, ‘रोम्मतमेल’ और ‘फुगड़ी’, झांकियां, और पौराणिक कहानियों पर आधारित मूर्तियां और चित्र।

शिग्मो महोत्सव का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

यह त्योहार प्रहलाद की विजय, होलिका दहन, और कामदेव (प्रेम के देवता) को समर्पित है। इसे योद्धाओं की वापसी और फसल कटाई का उत्सव भी माना जाता है।

क्या शिग्मो महोत्सव केवल ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है?

नहीं, शिग्मो महोत्सव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ‘धक्तो शिग्मो’ मनाया जाता है, जबकि झांकियों और परेड के बड़े आयोजन शहरी क्षेत्रों में होते हैं।

शिग्मो महोत्सव देखने के लिए कौन से स्थान सबसे प्रसिद्ध हैं?

बिचोलिम जिले के साल, कुडने और पिलगांव जैसे स्थान शिग्मो महोत्सव के पारंपरिक उत्सव और गडोत्सव जैसे अनोखे आयोजनों को देखने के लिए प्रसिद्ध हैं।

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